Dhat girne ka gharelu upay
धात गिराने का 10 घरेलू उपाय:
- शीघ्रपतन का व्यायाम: अधिक समय तक संभोग करने के लिए और शीघ्रपतन को नियंत्रित करने के लिए कुछ व्यायाम और तकनीके सीखे।
- शिलाजीत: यह पुरुषो के स्वस्थ के लिए लाभकारी होता है और धात गिरावट को कम करने में मददगार साबित होती है।
- अश्वगंधा: अश्वगंधा धात गिरने की समस्या को दूर करने मदद करती है तथा पुरुषो के शारीरिक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है।
- कौच बीज: कौच बीज धात गिरावट को ठीक करने में मदद कर सकता है।
- योग और प्राणायाम: कुछ योगासन और प्राणायाम धात गिरावट को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
- सहजन का उपयोग: सहजन के पत्तो को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें और इसे पानी के साथ पीने से धात गिरने की समस्या कम हो सकती है।
- शीशम की पत्ती: शीशम की पत्ती को पीसकर चूर्ण बना लें और फिर उनका रस निकल कर इसे प्रतिदिन पिए। इससे धात गिरने की समस्या कम हो सकती है।
- अर्जुन की छाल: अर्जुन की छाल का चूर्ण बनाकर पानी के साथ पीने से धात गिरने की समस्या कम हो सकती है।
- खजूर: खजूर को खाने से तागत तथा शरीर में एनर्जी बनी रहेगी तथा प्रतिदिन खजूर की आहार से धात गिरावट में कमी देखने को मिलेंगे।
- शतावरी: यह हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसका सेवन करने से धात गिरने की समस्या कम हो जाती है।
योग और प्राणायाम:
योगासन:
अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra):
यह मुद्रा पेल्विक मसल्स को मजबूत करने में मदद करती है, जो शीघ्र स्खलन को रोकने में सहायक होती है।
इसे करने के लिए, बैठने की स्थिति में आकर पेल्विक मसल्स को संकुचित करें और फिर छोड़ें। इसे कई बार दोहराएं।
मूलबंध (Mula Bandha):
यह भी पेल्विक मसल्स को मजबूत करता है।
इसके लिए, बैठने की स्थिति में आकर गुदा मांसपेशियों को संकुचित करें और कुछ समय तक पकड़ें। फिर छोड़ दें। इसे 10-15 बार दोहराएं।
सुप्त बद्ध कोणासन (Supta Baddha Konasana):
यह आसन पेल्विक क्षेत्र को आराम देता है और यौन अंगों में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है।
इसे करने के लिए, पीठ के बल लेटें, घुटनों को मोड़ें और तलवों को आपस में मिलाएं। घुटनों को जमीन की ओर झुकने दें।
धनुरासन (Dhanurasana):
यह आसन भी पेल्विक मसल्स को मजबूत करता है और रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है।
इसे करने के लिए, पेट के बल लेटें, घुटनों को मोड़ें और हाथों से पैरों को पकड़ें। शरीर को धनुष की तरह ऊपर उठाएं।
प्राणायाम:
अनुलोम विलोम (Anulom Vilom):
यह प्राणायाम मन और मस्तिष्क को शांत तथा दिमाग को बेहतर बनाता है।
इसे करने के लिए, एक नथुने को बंद करके दूसरे नथुने से सांस लें और फिर बदल-बदल कर सांस छोड़ें।
भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari Pranayama):
यह प्राणायाम भी मानसिक शांति प्रदान करता है।
इसके लिए, आँखें बंद करके गहरी सांस लें और छोड़ते समय "भ्र" की ध्वनि निकालें।
इन योगासन और प्राणायाम को नियमित रूप से करने से शीघ्र स्खलन की समस्या को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। इस प्राणायाम को करने से पहले अपने योग गुरु से सलाह अवश्य लें।