Chanakya Neeti Shlokas Explained

Chanakya Neeti Slokas Explained

Chanakya Neeti Shlokas Explained


Chanakya neeti के मुख्य विचार:

    दोस्तो आज मैं चाणक्य नीति के बारे में कुछ श्लोकों का वर्णन हम तीसरी अध्याय से लेंगे जो जो चाणक्य नीति में लिखा है।

    चाणक्य नीति जो इस प्रकार है:-

    चाणक्य नीति श्लोक 1:

    Chanakya neeti slok 1
    चाणक्य श्लोक

    संसार में कोई भी ऐसा मनुष्य नही है, जिसके कुल या वंश में कोई दोष अथवा अवगुण न हो। यदि गहनता से परीक्षण किया जाय तो प्रत्येक व्यक्ति के कुल में कोई-न-कोई दोष अवश्य निकल आयेगा। इसी प्रकार संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, निरोगी या सुख-संपदा से परिपूर्ण हो। अर्थात् दुःख, कष्ट, पीड़ा एवं बीमारी कभी-न-कभी अवश्य मनुष्य को जकड़ती है। इसके प्रभाव से कोई भी नही बच सकता। सुख-दुख एवं उतार-चढ़ाव प्रत्येक मनुष्य के जीवन में आते जाते है। लेकिन मनुष्य के असहाय होने के स्थान पर सहस पूर्वक इनका सामना करना चाहिए।

    चाणक्य नीति श्लोक 2

    Chanakya neeti slok 2
    चाणक्य श्लोक

    मनुष्य का आचार-विचार ही उसके कुल का पहचान होता है। वार्तालाप से उसके देश विशेष का, व्यवहार से उसके स्नेहभाव एवं मान-सम्मान का तथा उसके शरीर से भोजन का ज्ञान होता है। अन्य शब्दों में, मनुष्य का व्यक्तित्व उसके सम्पूर्ण कृतित्व का दर्पण होता है। केवल मनुष्य के व्यक्तित्व को देखकर ही बुद्धिमान व्यक्ति उसके गुण-दोषों का अनुमान लगा सकता है।

    चाणक्य नीति श्लोक 3

    Chanakya neeti slok 3
    चाणक्य श्लोक

    बुद्धिमान व्यक्ति के संबंध में चाणक्य अपने विचार व्यक्त करते हुए कहते है की ऐसे मनुष्य को अपनी पुत्री का विवाह किसी श्रेष्ठ एवं सुयोग्य कुल में करना चाहिए। इसके अतिरिक्त पुत्र को श्रेष्ठ शिक्षा दिलवानी चाहिए तथा मित्रो को धर्म-कर्म से संबंधित शुभ कार्यों में लगाना चाहिए। बुद्धिमान व्यक्ति के लिए आवश्यक है की वह शत्रु पक्ष को सदा किसी-न-किसी कष्ट में उलझाए रखे। इससे वे कभी भी उसके लिए मुसीबत या संकट उत्पन्न नहीं कर पाएंगे। निःसंदेह इस श्लोक में चाणक्य अपनी कूटनीति की झलक दिखती।

    चाणक्य नीति श्लोक 4

    Chanakya neeti slok 4
    चाणक्य श्लोक

    चाणक्य इस श्लोक में कहते है की शार्प और दुर्जन व्यक्ति के बीच में तुलना करते हुए कि सर्प केवल काल के बलवान होने पर ही कटता है। इसके विपरीत दुर्जन व्यक्ति कदम-कदम पर विश्वासघात करता है, व्यर्थ पीड़ा पहुंचता है। इसलिए यदि दोनो में से किसी एक को चुनने का अवसर आ जाए तो बिना संकोच किए सर्प को चुन लेना चाहिए।

    चाणक्य नीति श्लोक 5


    Chanakya Neeti shlok 5


    चूकि बुद्धिमान एवं कुलीन व्यक्ति विपरीत एवं विषम परिस्थितियों में भी साथ नहीं छोड़ते इसलिए राजा एवं विद्वान मनुष्य भी इन्हे आक्षय देने के लिए सदा तत्पर रहते है। ऐसे सुसंस्कृत विवेकयुक्त मनुष्य विपरीत परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम होने के कारण साहसपूर्वक उनका सामना करते है।

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